Saturday, 30 January 2016

अब कल से

अब कल से सब बदल रहा है और मैं भी बदलने की पूरी कोशिश करूंगा। घरवालों ने शादी तय कर दी है, जॅाब तो मैंने तुम्हारे छोड़ देने के कुछ दिनों बाद ही कर ली थी। उन्हें लगता है मैं बहुत ही बड़ा इंजीनियर हूँ इसलिए मुझे मानो-सम्मान देकर मैनेजर बना दिया गया है। दिन भर ख़ामख़ा की शायरी और कविताएं लिखा करता हूँ.. थोड़े बहोत सिग्नेचर करने होते है बस.. वो पीने वाला तो कब का छोड़ दिया। अकसर जब भी टी वी आन करता था वो बेहूदा पता ना सुरेश या नरेश था.. आकर अपनी परेशानी सुनाकर मुझे भी परेशान कर देता। वो तो माँ ने कसम याद दिलायी थीं कि उन्होंने 7 बरस पहले मुझे नशे से दूर रहने की कसम देकर जबरदस्ती इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने को भेजा था। तब किसे पता था, तुमसे मिलने के बाद सबसे प्यार हो जायेगा और तुम्हारे चले जाने के बाद खुद से नफ़रत। बरहाल तुम्हारे बारें में भी सुना.. तुम तो मास्टर हो गयीं हो एकदम, रोज़ अखबार में आर्टिकिल्स आते है तुम्हारे.. बस अब पढ़ने की हिम्मत नहीं रही, एक जमाने में तुमसे सुनने की आदत थी अब वो भी नहीं रही।
तुम्हारी तस्वीर को अब भी उसी नाबेल के नोट से लगाकर रक्खा है जहाँ पर एकदम से सब उलट जाता है और फिर 30 साल पीछे जाकर प्रेमी-प्रेमिका मिल जाते है। बेहद रोमांटिक शाम हो जाती है, हल्की बारिश हवाओं के साथ चलती है। अब बस उसी के ताक में हूँ कि कहीं से भी वो दिन मेरे लिए भी लौट आए। फेसबुक के "हमदर्द है तू", "जा बेवफा", "फिर मिलेंगे" जैसे कई पेज्स के कमेन्ट बाक्स में ये कहानी पोस्ट कर चुका हूँ। बहोत लाइकस मिलते है.. रिप्लाइज़ भी आते है और एक बात बताऊँ.. लड़कियाँ भी लाइकस करती है.. बस तुम्हारी तरह कोई कामेन्ट नहीं करती। फ्रेंड- रिक्वेस्ट की भरमार लगी पड़ी है, अब जाकर यकीन हुआ ये पेज्स एडमिन कितने महान होते है। तुमसे ज्यादा शिकायत नहीं होने की एक बड़ी वजहें ये पेज्स ही है.. कभी फुरसत में हो तो आना फिर देखना मेरा तमाशा.. मैं भी वहाँ हीरो हो गया हूँ।
कल बारात है, कार्ड तुम्हारे पसंद का ही छपवाया है मैंने.. देखो अपना आखिरी शर्त भी पूरा कर दिया मैंने।अब जो फिर इसी तरह कहीं मेरे पोस्ट करते-करते अगर वक़्त 30 साल पीछे पलट गया तो फिर सारी सवाले मेरी होंगी और फिर इस दफे घाटे के सौदे में तुम। अगर तुम्हारी खूबसूरती भी साथ वापस आ गयीं उस मासूम से चेहरे के साथ तो फिर सारे शिकवे माफ़।
तुम्हारे अख़बार में ही छपने को भिजवा रहा हूँ, छाप देना। पसंद आया हो तो सबसे उपर ही छपवा देना। सोचता हूँ तुम्हें शुक्रिया की जरूरत नहीं होगी, फिर भी शुक्रिया.. क्यूंकि
अब कल से सब बदल रहा है।
इस बार अलविदा जरूर लिख भेजना, मेरे बाय के जवाब में - बाय।

नितेश वर्मा 

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