Sunday, 26 July 2015

मम्मी-पापा [Mummy-Papa]

ये मम्मी-पापा इतनें लडते क्यूं हैं?
जब पापा लोग को नयी मम्मी पंसद आ जाती हैं ना, तो वो मम्मी लोग से झग़डा करनें लगते हैं, उन्हें मारनें-पीटनें लगते हैं।
तो फिर मम्मी लोग क्या करती हैं?
मम्मी!
हाँ, मम्मी।
वो.. वो तो बस रोती हैं।
वो क्यूं रोती हैं, जब हमें हमारी गलती पर मारती हैं.. तो वो पापा लोग को भी तो उनकी गलती पे मार सकती हैं।
नहीं रे! ऐसा नहीं होता। ऐसा होता तो वो पापा लोग के घर क्यूं आती। उन्हें बहोत कुछ सहना होता हैं, तभी तो वो पापा लोग के घर आती हैं।
जाओ, मैं नहीं मानता, सब बकवास हैं।
नहीं रें! सच में। मैनें देखा हैं.. अपनें घर में.. रात के अंधेरें में.. बस माँ ही रोती हैं।
अच्छा।
हाँ।


नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment