वो तो मेरी कोई बात सुनती ही नहीं, एक बार तुम कोशिश करके क्यूं नहीं देखती, प्लीज़।
वो मेरी क्यूं भला सुननें लगी, और तुम्हारें मामलें में वो बहोत बेरूख हो जाती हैं, हर बार की तरह इस बार भी कहीं ना वही डायलग चिपका दे। हाँ, तुम्हें उसकी बडी पडी रहती हैं अच्छा भी तो तुम्हें वो बहोत लगनें लगा हैं रोज़-रोज़ गोल-गप्पें खानें चली जाती हो। शर्म और दोस्ती के नातें तो तुमनें बिलकुल ही गवां दिये हैं। और न-जानें कितनी बकवासे जब-तक उसका दिल ना भर जायें।
यार! तुम ऐसा करोगी तो कैसे होगा। तुम उसकी बेस्ट फ्रेंड हो और तुम्हारी बातों को वो कभी अनदेखा नहीं करेगी।
मुझे तो ऐसा लगता हैं अब वो तुममें इंट्रेस्टेड नहीं रही। शायद
ये क्या कह रहीं हो तुम, ये सिला मिला हैं मुझे।
अब ओवर-रियेक्ट मत करो, मैनें तो बस गेस किया हैं।
अरे! ऐसे गेसेस मत किया करो तुम। मेरें हक में कुछ किया करों। मेरी ना सही इन गोल-गप्पों के खातिर।
भैया, रहनें दो। इन्हें खिलाओ। तुम्हारें ये सडें गोल-गप्पें तुम्हें ही मुबारक हो।
दीदी ऐसा तो ना कहिएं हमारें ठेलें का भी तो कुछु रेप्यूटेशन हैं। भैया का तो बातें अलग है, दिन-भर सडक की लडकियों पे गुजार देते हैं और शाम से मजनूं बन जातें हैं। मगर हैं बहुतें शरीफ।
नितेश वर्मा
वो मेरी क्यूं भला सुननें लगी, और तुम्हारें मामलें में वो बहोत बेरूख हो जाती हैं, हर बार की तरह इस बार भी कहीं ना वही डायलग चिपका दे। हाँ, तुम्हें उसकी बडी पडी रहती हैं अच्छा भी तो तुम्हें वो बहोत लगनें लगा हैं रोज़-रोज़ गोल-गप्पें खानें चली जाती हो। शर्म और दोस्ती के नातें तो तुमनें बिलकुल ही गवां दिये हैं। और न-जानें कितनी बकवासे जब-तक उसका दिल ना भर जायें।
यार! तुम ऐसा करोगी तो कैसे होगा। तुम उसकी बेस्ट फ्रेंड हो और तुम्हारी बातों को वो कभी अनदेखा नहीं करेगी।
मुझे तो ऐसा लगता हैं अब वो तुममें इंट्रेस्टेड नहीं रही। शायद
ये क्या कह रहीं हो तुम, ये सिला मिला हैं मुझे।
अब ओवर-रियेक्ट मत करो, मैनें तो बस गेस किया हैं।
अरे! ऐसे गेसेस मत किया करो तुम। मेरें हक में कुछ किया करों। मेरी ना सही इन गोल-गप्पों के खातिर।
भैया, रहनें दो। इन्हें खिलाओ। तुम्हारें ये सडें गोल-गप्पें तुम्हें ही मुबारक हो।
दीदी ऐसा तो ना कहिएं हमारें ठेलें का भी तो कुछु रेप्यूटेशन हैं। भैया का तो बातें अलग है, दिन-भर सडक की लडकियों पे गुजार देते हैं और शाम से मजनूं बन जातें हैं। मगर हैं बहुतें शरीफ।
नितेश वर्मा
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