Monday, 2 March 2015

इमोश्नल अत्याचार [Emotional Atyachaar]

तुम्हें तो प्यार करना भी नहीं आता। बाहों में बाहें डाल घूम लेनें से कोई प्यार नहीं हो जाता। प्यार एक एहसास हैं मगर मुझे नहीं लगता हैं के कभी तुमनें इसे महसूस किया हो। यूं फिजूल की बातों में ज़िन्दगी गुजार दी और अब सवालें लिये मुँह उठायें खडे हो।
मैनें तुमसे कितनी बार कहा हैं यूं बात-बात पे मुझे ताना ना दिया करो, एक तो तुम्हारी ही ज़िद थीं की मैंनें चादर ना होतें हुएं भी अपनें पैरों को फैला दिया। अब मैं तुम्हें प्यार के नगमें सुनाऊँ या बच्चों के शौक को पूरा करूं। ऐसा नहीं होता जैसा तुम अपनें घर में देखती आई हो वैसे मुझ जैसे मध्य वर्गीय लडके के घर की यही हालात हैं कोई एक शौक पूरा करो तो एक छूट ही जाता हैं चाहें हम लाख कोशिशें या मिन्नतें क्यूं ना कर लें। और तुम्हें ही इतनी जल्दी थीं शादी की मैनें तो बस तुमसे प्यार किया था, इसके मुकम्मल की सोच तक मेरें जेहन में ना थीं। किसी भी बात में मैं तुम्हारें बराबर नहीं था। वो तो मैं खुशनसीब रहा जो तुमनें सबको नाकार कर मुझे अपनाया था, उसके लियें मैं आज-तक तुम्हारा शुक्र-गुजार हूँ।
कोई जरूरत नहीं मेरा ऐहसान मंद होनें को और मैनें तुमसे ऐसा कह भी क्या दिया हैं। मैनें तो बस इतना ही कहा था कोई मदद मेरें मायकें से आती हैं तो तुम उसे टाल क्यूं देते हो, वो मेरे अपनें हैं। मुझे ऐसी हालतों में देखकर वो परेशां होते हैं। अब तुम ही बताओं उन्हें मैं क्या कहूँ।
तुम ये समझती क्यूं नहीं अगर अगर मैंनें ये जता दिया की मैं तुम्हारी चंद जरूरतें पूरी नहीं कर सकता या फिर अपनें बच्चों के शौक को पूरा नहीं कर सकता तो तुम खुद की और अपनें सामाज़ के नज़रों में कितना शर्मिंदा होगी। तुमनें सबको ठुकरा कर मुझे अपनाया था और मैं यह कभी नहीं चाहूँगा की तुम्हें अपनें डिसिज़न पे शर्मिंदा होना पडे। खैर मैनें कभी ऐसा भी नहीं किया की जो तुमनें चाहा उसे ना दिलाया हो हाँ यकीनन कुछ देर होता हैं मग़र मैं ऐक्सट्रा वर्क कर उसे पूरा ज़रूर करता हूँ। और तो तुम्हें पता हैं जहां तुम्हारें घर वालें ने मुझे ना-पसंद किया तो मेरे घर वालें आज़-तक मुझसे तुम्हें लेकर नाराज़ हैं। और अब क्या बातें करूं क्या तुम्हें समझाऊँ। वहीं बातें फिर से और वहीं रातें फिर से, ये रोज़-रोज़ का नाशुक्रा होना।
चलों रहनें दो तुम अपनी सडी मुँह की सडी बातें, मुझे सुबह ज़ल्द उठना भी होता हैं। एक प्यार की बात भी करों तो इमोश्नल अत्याचार कर देते हो।

 नितेश वर्मा

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