ए हाशमी फैन [A Hashmi Fan] मैंनें इस बार इस टाँपिक को लिया था लिखनें को। पहलें तो ये बहोत आसान लगता था लिखना मुझे। क्यूंकि जैसा मैं सोचता था उसके हिसाब से..
..हाँ होंगे 5-10 नामी फैन्स इमरान के, क्या हैं? उनसे जुड के कुछ टिप्स बटोर लूंगा..
फिर कुछ उनके और इमरान के बारें में लिख के इसे भी निपटा दूंगा..
और मुझे भी तो थोडा-बहोत पता हैं ही।
लेकिन सारी सोच धरी की धरी रह गई या आप यों कह लिजीएं मिट्टी में मिल के रह गई। हुआ यों की जब मैं शाम को अपनी चाय के चुस्की के साथ सोशल-नेटर्वक पे इमरान के फैन्स की तालाश कर रहा था। बडी आसानी से एक लम्बी लाईन हाथ लग गई थीं। अब मुझे उनमें से 1 को चुनना था क्यूंकि कहानी का टाईटल भी मैंच करवाना था तो मैनें लिस्ट को खोलतें हुएं ये सोचा,
..पर जब मैनें लिस्ट खोला तो मैं सकतें में आ गया हजारों फैन्स के नाम इमरान से जुडे थे। ये देख के तो मैं हैरान हो गया। मैं ये सोचनें लगा अब मैं क्या करूं ये तो बहोत मुश्किल काम हो गया। अब कैसे किसी एक को चुनूं जो मुझे इमरान से जुडी सारी खबरें दे।
कैसे वो फिल्म-इंडस्ट्रीज़ में आएं, उनके और क्या-क्या सपनें हैं या थे? परिवारिक-संबंध कैसा हैं? आगें आनें वाली फिल्में कौन-कौन सी हैं? कितनें फिल्में हिट या फ्लाप हुई हैं, इत्यादि सभी जानकारियाँ। पर अब मुश्किलात बढ गएं थें। चाय भी ठंडी पड चुकी थीं और दिल भी। अब जैसे कोई उपाय ही नहीं दिख रहा था पूरी रात दिमाग खपानें के बाद मैनें ट्वीटर पे खुद ये सवाल कर दिया
@emeraanhashmi Please Suggest Me A Name Of Your Closest Fan . I Want To Write About Yourself Thorugh His Voice.
लेकिन आपकों जान के यें हैंरत होगी इमरान का कोई जवाब नहीं आया। लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे एक नोटिफिकेशन मिला जिसमें @EHCOBRAMAN नें मेरी ट्वीट को री-ट्वीट किया था और एक जवाब छोडा था।
@Niteshverma086 what u want to know about @emraanhashmi?
बहोत दिनों बाद एक लडकें के जवाब को मैंनें उस वक्त ज्यादा अहमियत नहीं दिया क्यूंकि मैंनें उसे ना लिखनें का मन बना लिया था, सोचा जब इमरान को ही अपनें फैन्स की नहीं पडी तो मैं क्यूं उनकें पीछें पडके कुछ लिखूं? तो मैनें उस नोटिफिकेशन का कोई जवाब नहीं दिया। फिर अगलें दिन जब मैनें फिर एकाउन्ट ओपेन किया तो एक और नोटिफिकेशन आया था @EHCOBRAMAN फोलोस यू। शायद इस कारण उसनें मुझे फोलों किया होगा क्यूंकि मैंनें अपने प्रोफाइल पें अभी तक ये लिख रक्खा था मैं इमरान हाशमी पे एक कहानी लिख रहा हूँ।
उस वक्त मेरे दिमाग में ये बात कौंधा नितेश! कोई भी इंसान छोटा और बडा नहीं होता शायद यहीं इमरान का सबसे बडा फैन हो.. ..या हो फिर ना हो तुझे तेरे काम की चीजें बता दे..
..जो लिखना हो लिखवा दे, ये सब सोचतें हुएं मैनें फिर से वहीं नोटिफिकेशन को खोल के बैठ गया और बिना कुछ सोचें मैनें वो @EHCOBRAMAN की प्रोफाईल खोल ली।
पूरी प्रोफाईल इमरान के नाम-काम से भरी हुई थीं। यहां तक की लडकें ने अपना नाम भी नहीं लिखा था। मैंनें सब अच्छें से देखा और एक प्यारा सा संदेश @EHCOBRAMAN के नाम ट्वीट किया।
@EHCOBRAMAN Please Contact Me On Niteshverma086@gmail.com
मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ, यदि आप मेरे कहानी के पात्र के हिसाब से सहीं होंगे तो मैं आपकों ले के इस कहानी को पूरा करूंगाँ। यदि आप मेरे प्रस्ताव से राज़ी हैं तो मुझसे संपर्क करें।
अब आप ये मत सोचनें लगना यें ट्वीटर पे 140 शब्द ही सीमाएं होती हैं तो मैंनें इतना सब कुछ एक ट्वीट में ही कैसे लिख दिया तो आप ये गलत सोच रहें हो मैनें उस लडकें को उसके मेल पे मैसेज़ करा था।
मेरे मैसेज़ के कुछ ही पलों बाद उसका एक मैसेज़ आया जिसमें थेंक्यू और एक मैसेज़ लिखा था: जी हाँ बिलकुल आप मुझसे जो चाहें सहायता ले सकतें हैं मुझे कहानी ले के ना भी लिखे तो कोई बात नहीं पर आप ये कहानी जरूर लिखे हमें आपकें इस प्रयास पे गर्व हैं।
पहली बार किसी अंज़ान शक्स नें मुझे बहोत कुछ एक मैसेज़ के जरिएं ही सीखा दिया था। कितना शालीन स्वभाव कितना निश्छ्ल जिसे अपनें व्यक्ति-गत प्रशंसा से कोई लगाव ही नहीं था उसे तो बस अपनें स्टार को ले के फिक्र पडी थीं।
अब मैं समझ गया था ये वहीं हैं जिनके साथ मुझे आगे की कहानी लिखनी हैं। बातें भी बहोत उम्दा तरीकें से करतें हैं आसान और कम शब्दों में कहानी को एक मुकाम तक पहोचानें में काफी मदद कर सकते हैं। मेरे पहलें की ज़ितनी आकलन थीं सब ना जानें क्यूं इस लेख में झूठी पड रही थीं, शायद सच में यह एक बहोत मुश्किल काम था, लेकिन क्या करूं करना तो अब था ही, तो मैनें बात आगें बढातें हुएं..
..मैनें उनसे उनका नाम पूछा..
..नाम सौरभ कश्यप जो नई दिल्ली के रहनें वाले थें उम्र की कोई जरूरत नहीं थीं तो मैनें पूछा भी नहीं। मैनें उनसे बातें करनी शुरू कर दी कुछ दिनों में हम अच्छें-खासे दोस्त बन गएं थें। अब सुबह की गुड-मार्निंग से लेकर रात की ग़ुड-नाईट तक एक दूसरें को हर-पहर विश करना जैसे रिवाज़ हो गया था। लेकिन अभी तक इमरान की कोई ऐसी बात नहीं हुई थीं की आखिर मैं अब इनसे पूछूँ क्या? अब क्या लिखूं इमरान के बारें में? सारी खबरें तो सौरभ बता ही देता हैं जो एक-आध नई फोटों आती हैं भेज़ भी देता हैं अब इस बेचारें इंसा से पूछं के उसे भी परेशान क्यूं करुँ? क्या करूँ इस कहानी को यहीं छोड दूँ? अनेक सवाल रोज़ एक प्रश्न खुद से लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता।
लेकिन एक दिन अचानक हम बात ही कर रहें थें तो सौरभ नें मुझसे पूछ ही लिया : जी आपनें वो किताब कहाँ तक लिख ली?
किताब नहीं कहानी.. [मैंनें सुधारतें हुएं कहा]
और फिर जब-तक एक समरी नहीं बन जाता मैं क्या लिख पाऊँगाँ आपनें तो कुछ बताया भी नहीं कि इमरान का बचपन कैसा था कैसे वो फिल्म-इंडस्ट्रीज़ में आएं? खैर और सब तो आपनें बता ही दिया हैं [मैनें फिर से एक लम्बा मैसेज़ करा जिससे वो कुछ देर सोच सके]
लेकिन मेरे मैसेज़ के जातें ही तुरंत एक जवाब जैसे मानें उन्हें पता ही था मैं क्या लिख के भेजूगाँ जो जवाब तैयार रक्खा था। जी आपकों पूछना चाहिए, कहानी तो आप ही लिख रहें हैं ना अब आपको पता होगा ना कि कहानी में कब क्या लिखना हैं, और मुझसे क्या-क्या पूछना हैं?
इतनें सहज़ और आसान तरीकों में उसनें दिल की बात कह दी।
मैंनें फौरन पूछा अच्छा आप ये बताओ : आप लोग इमरान को इतना ट्वीट करतें हो वो जवाब क्यूं नहीं देते?
जी वो ज्यादा सोशल नहीं हैं काम से वक्त मिलनें पे जब घर जातें हैं तो घर और बच्चें को पूरा समय देते हैं, और हाँ जब कभी आँन-लाईन होतें हैं तो हमारा जवाब जरूर देते हैं; पर ऐसा बहोत कम ही बार हुआ हैं जब किसी ने उनका जवाब पाया हैं। [सौरभ ने जवाब दिया।]
फिर आप लोग उनके पीछें इतना क्यूं पडे है? [मैनें पूछा]
ये कैसा सवाल है? [सौरभ ने उधर से फिर पूछा।]
मैनें बोला: हाँ, सवाल ही आप ये बताओ ताकि मैं अपनें कहानी के जरिएं लोगों को ये समझा पाऊँ। [मैनें बात बदलते हुएं उस सवाल को एक नया स्वरूप देते हुएं पूछा]
अच्छा ये सवाल था, कहानी की बात हैं मैं तो कुछ और ही समझा था। [उसने जैसे राहत की साँस ले के लिखी हो।]
फिर मैनें कहा: हाँ, तो फिर बताओ आप, कैसी बात हैं आप लोग कैसे उन्हें अब भी वहीं दर्ज़ा दे के रक्खे हो?
तभी अचानक ओ नो।
इंटरनेट ऐक्सेस डिस्कनेक्टेड।
मैसेज़ ये चला गया था अब बस जवाब का इंतज़ार था..
..ऐसा अक्सर होता था लेकिन जब आज़ मुद्दें की बात थीं तो दिल बेचैंन था, लेकिन अब कर भी क्या सकता था रात के 1:00 बज रहें थें तो मैनें सब बंद किया और सोनें को लेट गया लेकिन नींद थीं जो आँखों की उड गयी थीं।
कभी-कभी इस बात पे हँसी आती थीं ये करते क्या हैं इमरान के फैन्स दिन भर रात भर ट्वीट या पिक अपलोड और कोई दूसरा काम नहीं हैं क्या? ऐसे ही करतें रहेंगे क्या? एक स्टार, वो भी सुपर-स्टार नहीं हैं इतनें लोग इसी में लगे पडे हैं आखिर इंडिया का फ्यूचर भी कुछ हैं या नहीं या ये बच्चें बस यूं ही अपनें साथ कहीं कोई मज़ाक तो नहीं कर रहें हैं ना, खैर मुझे करना क्या मैं अपना काम करूंगाँ और चलता बनूंगाँ। पर ऐसा करने से इन्हें मिलता क्या हैं?
ओ नितेश फिर से यार, चल चुप-चाप सो जा।
अगली दिन उठा तो एक लम्बा चौडा मैसेज़ मिला जिसमें इमरान को चाहनें की कई वजहों का जिक्र किया हुआ था। मैनें सब को सिल-सिलवार ढंग से संजोया और अगला सवाल फिर उसके पास छोड दिया
..आप ये बताओ आप इमरान से कभी मिलो हो..
..पर्स्नली ना सही तो.. जब वो किसी इवेन्ट में आयें हो तब.. या किसी फिल्मी प्रोमोश्न में या कहीं भी?
जवाब जैसे हमेशा की तरह तैयार होता था पर इस बार बहोत छोटा सा जवाब: जी नहीं,
कभी पर्स्नली नहीं मिला,
लेकिन हाँ एक बार जब वो राज़-3 और एक बार घनचक्कर के प्रोमोशन के लिए दिल्ली आए थें तो मिला था दूर से ही देखा था। अच्छा अनुभव था लेकिन राज़-3 में कुछ ज्यादा मज़ा नहीं आया माँल में थीं प्रोग्राम मैनें तो ढंग से देखा भी नहीं था उसनें अपना दिले-हाल मैसेज़ में बयां कर दिया। रोनें के दो-तीन आँसू उसनें बकायदा स्मालीं के तौर पे गिरा भी दिए थें।
मैंनें इस बात को नकारतें हुएं और कुछ गंभीर जैसे कोई राइटर: जी और घनचक्कर का अनुभव कैसा रहा, कृप्या विस्तार-पूर्वक बताएं? [मैनें पूछा]
जी घनचक्कर का बहोत अच्छा अनुभव रहा। इमरान को 8:00 बजे आने था। लेकिन कुछ परेशानी होनें के कारण..
..पता ना परेशानी क्या थीं अभी तक भी पता नहीं ऐसे ही टुकडों में ना-जानें कितनें मैसेज़ जिसमें सब कुछ लिखा था जब इमरान आया तो वो कैसे दौड के उसके कार के पीछें गया। बार्डीगार्ड्स के होते हुएं भी उसके हाथों को कैसे टच किया कैसे प्रमोशन में लुटाएं गए डीवीडी कैसेट को पाया इत्यादि सभी उससे जुडे सुहावनें पल।
मैं हैंरा था ये सब मैसेज़ पढ-कर, इतना लगाव होता हैं एक फैन्स को अपनें चहेतें कलाकार से। मैनें तो कभी ये सोचा ही ना था, मैं तो बस ये सोच रहा था पता ना जब इमरान को ये पता चलेगा उसके इतनें ना-जानें कितनें फैन्स हैं तो उनका क्या रिऐक्शन होगा? फिर धीरे-धीरें करके मैनें सारी बातें इक्ठ्ठा कर ली कैसे इमरान नें फिल्म-इंडस्ट्रीज़ को ज्वाइन किया और आगें के प्लानिंग्स क्या हैं? प्लानिंग तो सौरभ ने बस इतना ही बताया था की वो आगें बस इसी क्षेत्र में जुडे रहेंगें और बेहतर से बेहतर फिल्मों को बनानें की कोशिश करेंगें। और इमरान के फिल्म-इंडस्ट्रीज़ के आनें के बारें में सौरभ ने जो बताया वो आप खुद पढ ले उनकी जुबानी।
Me: How Did Emran Hashmi Get Into Films?
Saurbh Kashyap: Hmm... intresting story. let me think firstly, i will be replied you after some time..
He was never really interested in studies and was hot-headed and rebellious in college, as he was totally confused and insecure, but was not coming to terms with it. Rahul Bhatt, Mohit Suri and a whole bunch of their would just hang out at Pali Hill looking at these fast cars with blaring music. They were extremely naughty kids. He knew that he could use his innocent looks to get away with murder. Mukeshji was close to his grandmom and would often come home and tell her, 'Yeh kya khada rehta hai aapke nukkad pe, dukan ke paas, doston ke saath.' Mukeshji also told her to send him and that's the first time when he went to Bhatt sahab's house.Mukeshji gave him a lecture on becoming clear and he didn't understand half the things Mukeshji was saying, but he started assisting Vikram Bhatt. He was a lazy assistant and hated going and calling actors from vans and had a big ego. Mohit would do that, he wouldn't. Bhatt sahab saw that and felt he could be an actor and nudged him to become one.After that he joined acting classes, but midway got an offer to act in Yeh Zindagi Ka Safar. But he messed up so badly that he was thrown out. It became a sort of ego issue for him and he continued going on the set to see what he needed to do to become an actor. His grandmom was more realistic and knew that he neither looked like an actor nor could dance nor had the passion for Hindi films, so she was happy with me taking up second or third lead roles to at least make money. But he was clear that he needed to do something substantial and could not be just another name on the credit list. He remember that he refused to dub for his first film Footpath. This assistant told me, 'Bachchan ki tarah dub karo.' he said 'Fuck-off' and showed him the middle finger, as he didn't want to be like anyone else. Finally, Vikram Bhatt had to dub in his place as the film had to be released.
In this way emraan hashmi entered into the bolloywood industries.
इतनी सही और सुलभ जानकारी.. सही में मुझे पहलें ये सारी बातें पता नहीं थीं। मुझे अब लगनें लगा था..
..इत्तेफाक से ही क्या इत्तेफाक हुई हैं..
..जिसकी चाह थीं अब वो हाथ में आई हुई हैं।
अगर हम ऐसे नहीं मिले होतें तो कहीं और ना कहीं और मिले होतें कोई और बात होता कोई अलग टाँपिक होता वर्ना इत्तेफाक से इतनी अच्छी इत्तेफाक कहाँ बनती हैं।
धीरें-धीरें उसनें ये भी बताया कि वो सिर्फ़ इमरान की ही मूवी देखता हैं या गानें सुनता हैं।
हाँ ग्राफ़िक्स अच्छी कर लेता हैं सोचता हैं इसके जरिएं आगे कुछ कर लेगा और मौका हाथ लगा तो इमरान के साथ भी काम कर लेगा। इस बहानें ऐक्टिंग के बारें में भी सोचता हैं।
ऐसे ही ना जानें कितने कहें-अनकहें, छूएं-अनछूएं पल जो किसी फैन के ज़िन्दगी को एक फ्रेम में संज़ों के रख देती हैं।
एक ख्वाब हैं सौरभ की वो इमरान से मिलना चाहता हैं पर्स्नली..
दुआ करता हूँ मैं उसकी यें ख्वाहिश पूरी हो जाएं।
ऐसे ही ना जानें आपके भी कितनें फैन्स और फैवरेट स्टार होंगे आप मुझे उनके बारें में बताईयें यदि आपकी जुबानी अच्छी लगीं तो मैं उन्हें अपनें शब्दों में पिरों को कहानी के रूप में आपके सामनें प्रस्तुत करूंगाँ। यह कहानी पढनें और मुझे समय देनें के लिए धन्यवाद।
[यह कहानी एक फैन की कहानी कहती हैं जो अपनें फैवरेट स्टार के बारें में क्या-क्या भावनाएं रखता हैं का विश्लेषण करती हैं।यह कहानी मेरी कल्पनाओं पे आधारित हैं जिसका किसी के निजी ज़िन्दगी से कोई संबंध नहीं हैं। यदि ऐसा होता हैं तो वो उसे सिर्फ़ मात्र संयोग कहें।]
..नितेश वर्मा..
..हाँ होंगे 5-10 नामी फैन्स इमरान के, क्या हैं? उनसे जुड के कुछ टिप्स बटोर लूंगा..
फिर कुछ उनके और इमरान के बारें में लिख के इसे भी निपटा दूंगा..
और मुझे भी तो थोडा-बहोत पता हैं ही।
लेकिन सारी सोच धरी की धरी रह गई या आप यों कह लिजीएं मिट्टी में मिल के रह गई। हुआ यों की जब मैं शाम को अपनी चाय के चुस्की के साथ सोशल-नेटर्वक पे इमरान के फैन्स की तालाश कर रहा था। बडी आसानी से एक लम्बी लाईन हाथ लग गई थीं। अब मुझे उनमें से 1 को चुनना था क्यूंकि कहानी का टाईटल भी मैंच करवाना था तो मैनें लिस्ट को खोलतें हुएं ये सोचा,
..पर जब मैनें लिस्ट खोला तो मैं सकतें में आ गया हजारों फैन्स के नाम इमरान से जुडे थे। ये देख के तो मैं हैरान हो गया। मैं ये सोचनें लगा अब मैं क्या करूं ये तो बहोत मुश्किल काम हो गया। अब कैसे किसी एक को चुनूं जो मुझे इमरान से जुडी सारी खबरें दे।
कैसे वो फिल्म-इंडस्ट्रीज़ में आएं, उनके और क्या-क्या सपनें हैं या थे? परिवारिक-संबंध कैसा हैं? आगें आनें वाली फिल्में कौन-कौन सी हैं? कितनें फिल्में हिट या फ्लाप हुई हैं, इत्यादि सभी जानकारियाँ। पर अब मुश्किलात बढ गएं थें। चाय भी ठंडी पड चुकी थीं और दिल भी। अब जैसे कोई उपाय ही नहीं दिख रहा था पूरी रात दिमाग खपानें के बाद मैनें ट्वीटर पे खुद ये सवाल कर दिया
@emeraanhashmi Please Suggest Me A Name Of Your Closest Fan . I Want To Write About Yourself Thorugh His Voice.
लेकिन आपकों जान के यें हैंरत होगी इमरान का कोई जवाब नहीं आया। लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे एक नोटिफिकेशन मिला जिसमें @EHCOBRAMAN नें मेरी ट्वीट को री-ट्वीट किया था और एक जवाब छोडा था।
@Niteshverma086 what u want to know about @emraanhashmi?
बहोत दिनों बाद एक लडकें के जवाब को मैंनें उस वक्त ज्यादा अहमियत नहीं दिया क्यूंकि मैंनें उसे ना लिखनें का मन बना लिया था, सोचा जब इमरान को ही अपनें फैन्स की नहीं पडी तो मैं क्यूं उनकें पीछें पडके कुछ लिखूं? तो मैनें उस नोटिफिकेशन का कोई जवाब नहीं दिया। फिर अगलें दिन जब मैनें फिर एकाउन्ट ओपेन किया तो एक और नोटिफिकेशन आया था @EHCOBRAMAN फोलोस यू। शायद इस कारण उसनें मुझे फोलों किया होगा क्यूंकि मैंनें अपने प्रोफाइल पें अभी तक ये लिख रक्खा था मैं इमरान हाशमी पे एक कहानी लिख रहा हूँ।
उस वक्त मेरे दिमाग में ये बात कौंधा नितेश! कोई भी इंसान छोटा और बडा नहीं होता शायद यहीं इमरान का सबसे बडा फैन हो.. ..या हो फिर ना हो तुझे तेरे काम की चीजें बता दे..
..जो लिखना हो लिखवा दे, ये सब सोचतें हुएं मैनें फिर से वहीं नोटिफिकेशन को खोल के बैठ गया और बिना कुछ सोचें मैनें वो @EHCOBRAMAN की प्रोफाईल खोल ली।
पूरी प्रोफाईल इमरान के नाम-काम से भरी हुई थीं। यहां तक की लडकें ने अपना नाम भी नहीं लिखा था। मैंनें सब अच्छें से देखा और एक प्यारा सा संदेश @EHCOBRAMAN के नाम ट्वीट किया।
@EHCOBRAMAN Please Contact Me On Niteshverma086@gmail.com
मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ, यदि आप मेरे कहानी के पात्र के हिसाब से सहीं होंगे तो मैं आपकों ले के इस कहानी को पूरा करूंगाँ। यदि आप मेरे प्रस्ताव से राज़ी हैं तो मुझसे संपर्क करें।
अब आप ये मत सोचनें लगना यें ट्वीटर पे 140 शब्द ही सीमाएं होती हैं तो मैंनें इतना सब कुछ एक ट्वीट में ही कैसे लिख दिया तो आप ये गलत सोच रहें हो मैनें उस लडकें को उसके मेल पे मैसेज़ करा था।
मेरे मैसेज़ के कुछ ही पलों बाद उसका एक मैसेज़ आया जिसमें थेंक्यू और एक मैसेज़ लिखा था: जी हाँ बिलकुल आप मुझसे जो चाहें सहायता ले सकतें हैं मुझे कहानी ले के ना भी लिखे तो कोई बात नहीं पर आप ये कहानी जरूर लिखे हमें आपकें इस प्रयास पे गर्व हैं।
पहली बार किसी अंज़ान शक्स नें मुझे बहोत कुछ एक मैसेज़ के जरिएं ही सीखा दिया था। कितना शालीन स्वभाव कितना निश्छ्ल जिसे अपनें व्यक्ति-गत प्रशंसा से कोई लगाव ही नहीं था उसे तो बस अपनें स्टार को ले के फिक्र पडी थीं।
अब मैं समझ गया था ये वहीं हैं जिनके साथ मुझे आगे की कहानी लिखनी हैं। बातें भी बहोत उम्दा तरीकें से करतें हैं आसान और कम शब्दों में कहानी को एक मुकाम तक पहोचानें में काफी मदद कर सकते हैं। मेरे पहलें की ज़ितनी आकलन थीं सब ना जानें क्यूं इस लेख में झूठी पड रही थीं, शायद सच में यह एक बहोत मुश्किल काम था, लेकिन क्या करूं करना तो अब था ही, तो मैनें बात आगें बढातें हुएं..
..मैनें उनसे उनका नाम पूछा..
..नाम सौरभ कश्यप जो नई दिल्ली के रहनें वाले थें उम्र की कोई जरूरत नहीं थीं तो मैनें पूछा भी नहीं। मैनें उनसे बातें करनी शुरू कर दी कुछ दिनों में हम अच्छें-खासे दोस्त बन गएं थें। अब सुबह की गुड-मार्निंग से लेकर रात की ग़ुड-नाईट तक एक दूसरें को हर-पहर विश करना जैसे रिवाज़ हो गया था। लेकिन अभी तक इमरान की कोई ऐसी बात नहीं हुई थीं की आखिर मैं अब इनसे पूछूँ क्या? अब क्या लिखूं इमरान के बारें में? सारी खबरें तो सौरभ बता ही देता हैं जो एक-आध नई फोटों आती हैं भेज़ भी देता हैं अब इस बेचारें इंसा से पूछं के उसे भी परेशान क्यूं करुँ? क्या करूँ इस कहानी को यहीं छोड दूँ? अनेक सवाल रोज़ एक प्रश्न खुद से लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता।
लेकिन एक दिन अचानक हम बात ही कर रहें थें तो सौरभ नें मुझसे पूछ ही लिया : जी आपनें वो किताब कहाँ तक लिख ली?
किताब नहीं कहानी.. [मैंनें सुधारतें हुएं कहा]
और फिर जब-तक एक समरी नहीं बन जाता मैं क्या लिख पाऊँगाँ आपनें तो कुछ बताया भी नहीं कि इमरान का बचपन कैसा था कैसे वो फिल्म-इंडस्ट्रीज़ में आएं? खैर और सब तो आपनें बता ही दिया हैं [मैनें फिर से एक लम्बा मैसेज़ करा जिससे वो कुछ देर सोच सके]
लेकिन मेरे मैसेज़ के जातें ही तुरंत एक जवाब जैसे मानें उन्हें पता ही था मैं क्या लिख के भेजूगाँ जो जवाब तैयार रक्खा था। जी आपकों पूछना चाहिए, कहानी तो आप ही लिख रहें हैं ना अब आपको पता होगा ना कि कहानी में कब क्या लिखना हैं, और मुझसे क्या-क्या पूछना हैं?
इतनें सहज़ और आसान तरीकों में उसनें दिल की बात कह दी।
मैंनें फौरन पूछा अच्छा आप ये बताओ : आप लोग इमरान को इतना ट्वीट करतें हो वो जवाब क्यूं नहीं देते?
जी वो ज्यादा सोशल नहीं हैं काम से वक्त मिलनें पे जब घर जातें हैं तो घर और बच्चें को पूरा समय देते हैं, और हाँ जब कभी आँन-लाईन होतें हैं तो हमारा जवाब जरूर देते हैं; पर ऐसा बहोत कम ही बार हुआ हैं जब किसी ने उनका जवाब पाया हैं। [सौरभ ने जवाब दिया।]
फिर आप लोग उनके पीछें इतना क्यूं पडे है? [मैनें पूछा]
ये कैसा सवाल है? [सौरभ ने उधर से फिर पूछा।]
मैनें बोला: हाँ, सवाल ही आप ये बताओ ताकि मैं अपनें कहानी के जरिएं लोगों को ये समझा पाऊँ। [मैनें बात बदलते हुएं उस सवाल को एक नया स्वरूप देते हुएं पूछा]
अच्छा ये सवाल था, कहानी की बात हैं मैं तो कुछ और ही समझा था। [उसने जैसे राहत की साँस ले के लिखी हो।]
फिर मैनें कहा: हाँ, तो फिर बताओ आप, कैसी बात हैं आप लोग कैसे उन्हें अब भी वहीं दर्ज़ा दे के रक्खे हो?
तभी अचानक ओ नो।
इंटरनेट ऐक्सेस डिस्कनेक्टेड।
मैसेज़ ये चला गया था अब बस जवाब का इंतज़ार था..
..ऐसा अक्सर होता था लेकिन जब आज़ मुद्दें की बात थीं तो दिल बेचैंन था, लेकिन अब कर भी क्या सकता था रात के 1:00 बज रहें थें तो मैनें सब बंद किया और सोनें को लेट गया लेकिन नींद थीं जो आँखों की उड गयी थीं।
कभी-कभी इस बात पे हँसी आती थीं ये करते क्या हैं इमरान के फैन्स दिन भर रात भर ट्वीट या पिक अपलोड और कोई दूसरा काम नहीं हैं क्या? ऐसे ही करतें रहेंगे क्या? एक स्टार, वो भी सुपर-स्टार नहीं हैं इतनें लोग इसी में लगे पडे हैं आखिर इंडिया का फ्यूचर भी कुछ हैं या नहीं या ये बच्चें बस यूं ही अपनें साथ कहीं कोई मज़ाक तो नहीं कर रहें हैं ना, खैर मुझे करना क्या मैं अपना काम करूंगाँ और चलता बनूंगाँ। पर ऐसा करने से इन्हें मिलता क्या हैं?
ओ नितेश फिर से यार, चल चुप-चाप सो जा।
अगली दिन उठा तो एक लम्बा चौडा मैसेज़ मिला जिसमें इमरान को चाहनें की कई वजहों का जिक्र किया हुआ था। मैनें सब को सिल-सिलवार ढंग से संजोया और अगला सवाल फिर उसके पास छोड दिया
..आप ये बताओ आप इमरान से कभी मिलो हो..
..पर्स्नली ना सही तो.. जब वो किसी इवेन्ट में आयें हो तब.. या किसी फिल्मी प्रोमोश्न में या कहीं भी?
जवाब जैसे हमेशा की तरह तैयार होता था पर इस बार बहोत छोटा सा जवाब: जी नहीं,
कभी पर्स्नली नहीं मिला,
लेकिन हाँ एक बार जब वो राज़-3 और एक बार घनचक्कर के प्रोमोशन के लिए दिल्ली आए थें तो मिला था दूर से ही देखा था। अच्छा अनुभव था लेकिन राज़-3 में कुछ ज्यादा मज़ा नहीं आया माँल में थीं प्रोग्राम मैनें तो ढंग से देखा भी नहीं था उसनें अपना दिले-हाल मैसेज़ में बयां कर दिया। रोनें के दो-तीन आँसू उसनें बकायदा स्मालीं के तौर पे गिरा भी दिए थें।
मैंनें इस बात को नकारतें हुएं और कुछ गंभीर जैसे कोई राइटर: जी और घनचक्कर का अनुभव कैसा रहा, कृप्या विस्तार-पूर्वक बताएं? [मैनें पूछा]
जी घनचक्कर का बहोत अच्छा अनुभव रहा। इमरान को 8:00 बजे आने था। लेकिन कुछ परेशानी होनें के कारण..
..पता ना परेशानी क्या थीं अभी तक भी पता नहीं ऐसे ही टुकडों में ना-जानें कितनें मैसेज़ जिसमें सब कुछ लिखा था जब इमरान आया तो वो कैसे दौड के उसके कार के पीछें गया। बार्डीगार्ड्स के होते हुएं भी उसके हाथों को कैसे टच किया कैसे प्रमोशन में लुटाएं गए डीवीडी कैसेट को पाया इत्यादि सभी उससे जुडे सुहावनें पल।
मैं हैंरा था ये सब मैसेज़ पढ-कर, इतना लगाव होता हैं एक फैन्स को अपनें चहेतें कलाकार से। मैनें तो कभी ये सोचा ही ना था, मैं तो बस ये सोच रहा था पता ना जब इमरान को ये पता चलेगा उसके इतनें ना-जानें कितनें फैन्स हैं तो उनका क्या रिऐक्शन होगा? फिर धीरे-धीरें करके मैनें सारी बातें इक्ठ्ठा कर ली कैसे इमरान नें फिल्म-इंडस्ट्रीज़ को ज्वाइन किया और आगें के प्लानिंग्स क्या हैं? प्लानिंग तो सौरभ ने बस इतना ही बताया था की वो आगें बस इसी क्षेत्र में जुडे रहेंगें और बेहतर से बेहतर फिल्मों को बनानें की कोशिश करेंगें। और इमरान के फिल्म-इंडस्ट्रीज़ के आनें के बारें में सौरभ ने जो बताया वो आप खुद पढ ले उनकी जुबानी।
Me: How Did Emran Hashmi Get Into Films?
Saurbh Kashyap: Hmm... intresting story. let me think firstly, i will be replied you after some time..
He was never really interested in studies and was hot-headed and rebellious in college, as he was totally confused and insecure, but was not coming to terms with it. Rahul Bhatt, Mohit Suri and a whole bunch of their would just hang out at Pali Hill looking at these fast cars with blaring music. They were extremely naughty kids. He knew that he could use his innocent looks to get away with murder. Mukeshji was close to his grandmom and would often come home and tell her, 'Yeh kya khada rehta hai aapke nukkad pe, dukan ke paas, doston ke saath.' Mukeshji also told her to send him and that's the first time when he went to Bhatt sahab's house.Mukeshji gave him a lecture on becoming clear and he didn't understand half the things Mukeshji was saying, but he started assisting Vikram Bhatt. He was a lazy assistant and hated going and calling actors from vans and had a big ego. Mohit would do that, he wouldn't. Bhatt sahab saw that and felt he could be an actor and nudged him to become one.After that he joined acting classes, but midway got an offer to act in Yeh Zindagi Ka Safar. But he messed up so badly that he was thrown out. It became a sort of ego issue for him and he continued going on the set to see what he needed to do to become an actor. His grandmom was more realistic and knew that he neither looked like an actor nor could dance nor had the passion for Hindi films, so she was happy with me taking up second or third lead roles to at least make money. But he was clear that he needed to do something substantial and could not be just another name on the credit list. He remember that he refused to dub for his first film Footpath. This assistant told me, 'Bachchan ki tarah dub karo.' he said 'Fuck-off' and showed him the middle finger, as he didn't want to be like anyone else. Finally, Vikram Bhatt had to dub in his place as the film had to be released.
In this way emraan hashmi entered into the bolloywood industries.
इतनी सही और सुलभ जानकारी.. सही में मुझे पहलें ये सारी बातें पता नहीं थीं। मुझे अब लगनें लगा था..
..इत्तेफाक से ही क्या इत्तेफाक हुई हैं..
..जिसकी चाह थीं अब वो हाथ में आई हुई हैं।
अगर हम ऐसे नहीं मिले होतें तो कहीं और ना कहीं और मिले होतें कोई और बात होता कोई अलग टाँपिक होता वर्ना इत्तेफाक से इतनी अच्छी इत्तेफाक कहाँ बनती हैं।
धीरें-धीरें उसनें ये भी बताया कि वो सिर्फ़ इमरान की ही मूवी देखता हैं या गानें सुनता हैं।
हाँ ग्राफ़िक्स अच्छी कर लेता हैं सोचता हैं इसके जरिएं आगे कुछ कर लेगा और मौका हाथ लगा तो इमरान के साथ भी काम कर लेगा। इस बहानें ऐक्टिंग के बारें में भी सोचता हैं।
ऐसे ही ना जानें कितने कहें-अनकहें, छूएं-अनछूएं पल जो किसी फैन के ज़िन्दगी को एक फ्रेम में संज़ों के रख देती हैं।
एक ख्वाब हैं सौरभ की वो इमरान से मिलना चाहता हैं पर्स्नली..
दुआ करता हूँ मैं उसकी यें ख्वाहिश पूरी हो जाएं।
ऐसे ही ना जानें आपके भी कितनें फैन्स और फैवरेट स्टार होंगे आप मुझे उनके बारें में बताईयें यदि आपकी जुबानी अच्छी लगीं तो मैं उन्हें अपनें शब्दों में पिरों को कहानी के रूप में आपके सामनें प्रस्तुत करूंगाँ। यह कहानी पढनें और मुझे समय देनें के लिए धन्यवाद।
[यह कहानी एक फैन की कहानी कहती हैं जो अपनें फैवरेट स्टार के बारें में क्या-क्या भावनाएं रखता हैं का विश्लेषण करती हैं।यह कहानी मेरी कल्पनाओं पे आधारित हैं जिसका किसी के निजी ज़िन्दगी से कोई संबंध नहीं हैं। यदि ऐसा होता हैं तो वो उसे सिर्फ़ मात्र संयोग कहें।]
..नितेश वर्मा..
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